Monday 17 May 2021

जूनून, जिद और जज्बे ने हराया कोरोना को

ये सच्ची कहानी है नीरज द्विवेदी की, उन्हीं की जुबानी.

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ये हैं मेरे घर के कोरोना पीड़ित, योद्धा और विजेता भी.

 

मेरे होम आइसोलेशन में रहते मेरी देखभाल करना, हौसला बढ़ाना, हंसाना, खाने-पीने की हठ करना और हड़काना इस योद्धा के प्रमुख हथियार थे. मेरा शरीर अपनी ताकत और इनके जुनून से कोरोना से जीत गया. इसी बीच इनके संक्रमित होने की सूचना मैंने जब इन्हें दी तो ये जोर से ठिलठिलाटे हुए अपनी बत्तीसी निकालकर बोलीं "हम नईं मरत, हमाई चिंता नई करो अबै तौ हमें मौड़ई मौड़न कौ व्याव करने! इतने जल्दी पीछौ नई छोड़ें....."

 

मैंने कहा सब लोग पॉजिटिव हो गए तो बोली "कोई बात नहीं सब सही हो जाएंगे."

 

धीरे धीरे सब सही हुए लेकिन सबसे बाद में यही योद्धा ठीक हुआ, जो रोज की तरह फोटो में भी मेरे सर पर चढ़ा है! कल ही इनकी खांसी ठीक हुई.

 

इनके जुनून, जिद और जज्बे से हम सब स्वस्थ हो पाए.

 

ऐसे योद्धा आपके घर,पड़ोस या मोहल्ले में भी होंगे. ऐसे योद्धाओं को मेरा सैल्यूट.



नीरज द्विवेदी ललितपुर निवासी हैं. परिवार से सबसे पहले इनको कोरोना ने प्रभावित किया उसके बाद सभी सदस्य संक्रमित मिले. इनकी धर्मपत्नी के विश्वास ने एक-एक करके सबको संक्रमण-मुक्त करवा दिया. 

नीरज जी की कहानी के लिए यहाँ क्लिक करें.


नीरज द्विवेदी के बारे में जानने के लिए यहाँ क्लिक करें. 



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