Monday, 31 May 2021

कोविड उपचार के दौरान का सुखद अनुभव

कोविड के उपचार के दौरान कुछ अच्छे अनुभव हुए, जिन्हें डॉक्टर्स के सम्मान में साझा करना चाहूँगी.


कोविड के लक्षण के अनुसार घर पर उपचार चल रहा था. 12 दिन के बाद तेज़ बुखार उतरा लेकिन उसी दिन साँस में दिक्कत हुई और ऑक्सीजन स्तर 86 से होता हुआ एक बार 78 तक आ गया. बडी मशक्कत के बाद KGMC LUCKNOW के लिंब सेंटर में नये खुले कोविड वार्ड में बेड मिला. तीमारदारों के ठहरने की सुविधा नहीं थी. अगले दिन रात को तीन बजे आंख खुली और महसूस हुआ कि मास्क में ऑक्सीजन नहीं. तुरंत मास्क हटाया तो पता चला कि मैं सांस ही नही ले पा रही थी. किसी तरह उठ कर सुनसान गैलरी में हेलो-हेलो करके आवाज़ लगायी. सन्नाटा देख कर जीवन का अंत नज़र आ रहा था.


अचानक गैलरी में भागते हुए लोगों की आहट सुनी. चार लोग जो ड्यूटी पर थे भागते हुए मेरी ओर आये मुझे बेड पर ले गए. मुझे मॉनिटर से कनेक्ट किया. ऑक्सीजन जिसकी सप्लाई सही थी उसका प्रेशर बढ़ाया और मुझे मास्क लगाया. उसके बाद उन्होंने मॉनिटर को कवर कर लिया ताकि में देख न सकूं. मुझे बैठा कर लंबी लंबी सांस लेने को कहा. इस दौरान जो सबसे बड़ी बात थी वो थी मनोवैज्ञानिक रूप से सम्बल देना. लगभग तीस वर्ष के एक डॉक्टर ने मेरे सर पर हाथ रखा और बोला कि आपको कुछ नहीं हुआ आंटी. आपने कोई सपना देखा है. बस कुछ मत सोचिए लंबी-लंबी साँस लीजिए.


तब एक ने फटाफट मुझे ग्लूकोज़ चढ़ाया और एक ने इंजेक्शन दिया. मुझे उस समय उस डॉक्टर के स्पर्श में एक पिता के स्पर्श की अनुभूति हुई. जब मेरा ऑक्सीजन 91 हुआ तब एक और युवा डॉक्टर लड़की ने मुझे स्क्रीन दिखाया और हँस कर कहा कि देखिए आपका ऑक्सीजन तो बिल्कुल ठीक है. जूस पियेंगी? और उन्होंने टेबल पर रखा जूस मुझे गिलास में करके दिया. इन लोगों ने कोविड में मुझे गले लगाया मैं वो पल भूल नहीं सकती.


ये पल मेरे जीवन में ठहर गए हैं लेकिन अपनी तकलीफ के कारण नहीं, उन जीवन प्रहरियों के कारण. इस अनुभव से एक बात प्रमाणित हुई कि ये जीवन की रक्षा करने वाले पूरी तरह मुस्तैद हैं कुछ एक अपवाद को छोड़ कर. चूंकि वायरस ही खतरनाक है और इसके व्यवहार पर भी अभी समांतर शोध हो रहे हैं. इसलिए उपचार में प्रयोग करना इनकी मजबूरी है लेकिन वो जान बचाने का ही प्रयास है. लापरवाही हरगिज़ नहीं. इन सभी कोरोना योद्धाओं के लिए नतमस्तक हूँ.


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कोरोना विजेता में कोविड उपचार के समय मुस्तैदी से तत्पर डॉक्टर्स की कहानी अपनी जुबानी बता रहीं हैं संध्या सिंह. उनकी बात को सामने रखा है रश्मि प्रभा जी ने. 


रश्मि प्रभा जी से मिलने के लिए यहाँ क्लिक करें.

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