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Friday, 14 May 2021

आत्मविश्वास से जीती जंग कोरोना से

देवेन्द्र जी 

इनका परिचय देने की शायद ही जरूरत हो फिर भी परिचय संक्षिप्त में करा देता हूँ, ये हमारे परम् मित्र देवेन्द्र गुप्ता जी हैं, या कह लो मेरे साथ खड़े रहने वाले वो शख्श है जो मुझे मेरे होने का एहसास समय-2 पर दिलाते रहते हैं. विगत 1 माह से ये कोरोना के साथ जंग कर रहे हैं. जंग की शुरुआत छोटे भाई कन्हैया से शुरू हुई. देवेन्द्र जी के छोटे भाई कन्हैया 22 दिन पहले (लगभग 20 अप्रैल को) कोरोना संक्रमण के चलते मेडिकल में भर्ती कराए गए. इलाज चालू हुआ.


इलाज के दौरान कई दौरे देखे, कभी गंभीरता देखी, कभी कोरोना का भयावह रूप देखा. तबियत में भी पर्याप्त उतार चढ़ाव देखे. 13-14 दिन इलाज के बाद भी डॉक्टर्स से संतोषजनक उत्तर नही मिले. रेडमिसिविर से लेकर सारे हथकंडों का उपयोग होता रहा. इधर हफ़्तों की भाग-दौड़ और भाई की तबियत ठीक न होने की वजह से देवेन्द्र जी का भी स्वास्थ्य गड़बड़ा गया.


यह दौर हमारे लिए बेहद स्तब्ध करने वाला था. पहले से एक भाई लड़ ही रह था और देवेंद्र जी के स्वास्थ्य ने चिंता बढ़ा दी. स्वास्थ्य खराबी में कहीं न कहीं एक मानसिक दबाव भी दिखा. देर न करते हुए देवेंद्र जी को होस्पिटलाइज करवाया गया. उधर छोटे कन्हैया के स्वास्थ्य को लेकर फिर गतिबिधियों को जारी रखा. माँ वनखण्डी के चरणों मे एक ही प्रार्थना रही कि माँ इस संकट से निकालो. देवेंद्र जी को आराम दिखने लगा. आराम तो मिला पर देवेंद्र जी के दिमाग मे वही चिंता चल रही थी कि छोटा भाई कैसे ठीक हो? यह चिंता देवेन्द्र जी पर मानसिक दबाव बनाती जा रही थी. समझ ही नहीं पा रहे थे कि क्या किया जाये?


माई की ऐसी कृपा हुई छोटा भाई भी ठीक होने लगा. छोटे भाई की हिम्मत की दाद देनी होगी. आईसीयू वार्ड में 22 दिन में कई मंजर देखे पर उसने अपना हौसला और ठीक होने का आत्मविश्वास नहीं खोया. वो धैर्य बनाये लड़ता रहा. उसके धैर्य ने उसकी जीत सुनिश्चित की. जगतजननी मां वनखंडी व पूज्य गुरुदेव की कृपा ऐसी हुई कि देवेन्द्र जी डिस्चार्ज हुए और 2 दिन बाद छोटा भाई भी डिस्चार्ज होकर घर आया.


देवेंद्र जी तो अस्वस्थ हुए ही नहीं थे बल्कि भाग-दौड़ का दबाव उनके स्वास्थ्य पर हावी हुआ. खैर परीक्षा आती रहती है. जीवन के इस संघर्ष में धैर्य, आत्मविश्वास के साथ टिके रहिये, परिणाम आपके पक्ष में होंगे.


इस कहानी का सिर्फ इतना उद्देश्य है कि समय उतार-चढ़ाव का आता है पर इस समय में धैर्य, आत्मविश्वास व दृढ़ता बनाये रखें. ईश्वर पर भरोसा रखकर सतत लड़ाई जारी रखिये. प्रत्येक लड़ाई जीती जा सकती है, बस मन से न हारिये. लगे रहिए.


आप सभी के स्वस्थ होने की कामना करता हूँ. माहौल उदासी का है पर फिर भी मुस्कुराते रहिये. अपनों का हौसला बढाते रहिये. जीत हम सबकी होगी, बस धैर्य न खोना, आत्मविश्वास बनाये रखना.


माँ वनखंडी आप सभी का कल्याण करें.


++++


कोरोना विजेता भाई की उक्त कहानी जनपद जालौन निवासी धर्मेन्द्र चौहान ने अपनी फेसबुक वाल पर प्रकाशित की थी. कोरोना के विरुद्ध जनमानस में एक ऊर्जा का संचार करने के लिए इस कहानी को यहाँ आप सबके लिए प्रकाशित किया जा रहा है. साभार धर्मेन्द्र जी की फेसबुक वाल से. 


उक्त कहानी को इस लिंक के द्वारा पढ़ा जा सकता है. 


धर्मेन्द्र चौहान जी के बारे में जानने के लिए यहाँ क्लिक करें.

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