Friday, 28 May 2021

वैक्सीनेशन और विश्वास से स्वस्थ होकर कहा इति कोरोना कथा

23 अप्रैल को हमने और निवेदिता ने कोवीशील्ड की दूसरी डोज़ लगवाई। 25 अप्रैल को हमें मामूली बुखार हुआ। उसी रात बुखार 100 पार हुआ। 26 को हमारी स्मेल चली गई। अब हम दहशत में आ गए। तुरंत अपने बड़े भाई जो डॉक्टर है और वर्तमान में CMS भी है, उनसे बताया. उन्होंने छूटते ही कहा, कोरोना पॉजिटिव हो गए हो और दवायें शुरू कर दी मेरी, न्यूनतम और अतिआवश्यक वाली।


28 अप्रैल को निवेदिता भी आ गई मेरा साथ देने, उन्हें भी बुखार और स्मेल गायब। वही दवाएं अब ×2 हो गईं। 29 को RTPCR कराया, दोनो पॉजिटिव निकले।


घर मे कोई मेड नहीं, कोई हेल्प नहीं. सरकारी व्यवस्था के तहत घर के बाहर पीला पोस्टर और लगा गये सब, अलीबाबा चालीस चोर की मरजीना की तरह।


एक दूसरे का बुखार और ऑक्सीजन देखते, नापते 7 मई आ गई। मैं काफी ठीक हो चुका था तब तक। लेकिन स्मेल नहीं आई थी। जब बुखार नहीं आया दुबारा तो 10 मई को फिर टेस्ट कराया सिर्फ अपना. हम फिर पॉजिटिव रहे।


अब हम दोनों का टेस्ट 18 मई को होना है. उम्मीद तो पूरी है कि अब नेगेटिव ही आ जाएंगे। फिलहाल हम दोनों ठीक है।


निवेदिता को वीकनेस काफी हो गई। इस बीच वो सारा अपना रूटीन भी करती रही, खाना पीना पूजा पाठ सब और साथ में हमारी नर्सिंग भी।


यह शर्तिया वैक्सीन लगी होने का परिणाम रहा कि हम दोनों को कोई कॉम्प्लिकेशन नहीं हुआ।


10 मई तक जब तक हम लोग लगभग ठीक नहीं हुए तब तक हम लोगों ने किसी को नहीं बताया, यहां तक कि पापा, मम्मी, छोटे भाई तक को नहीं। बस बड़े भाई से बात होती रही, उनकी दवा और टेलिफोनिक निर्देशों से ही हम लोग ठीक हो गए।


कल काजल साहब ने लिखा था कि घर मे एक डॉक्टर जरूर होना चाहिए. इसका एहसास तो पहले भी कई बार हुआ है और इस महामारी में अच्छे से हो गया। चौबीसों घण्टे यह कॉन्फिडेंस रहता था कि इमरजेंसी हुई तो भाई के अस्पताल में जाकर भर्ती हो जाएंगे। (बेड और ऑक्सीजन की मारामारी सुन सुन कर बहुत भयभीत रहे हम लोग)


आफिस में तो इत्तिला करना जरूरी था, फिर तो वहां से भी दिन भर लोग हाल पूछते रहे। आसपास बहुत सी बुरी खबर सुन सुन कर मन खराब तो बहुत हुआ कई बार पर बस हिम्मत हौसला जुटाए रखा हम दोनों ने।


कृपया सभी लोग वैक्सीन अवश्य लगवाएं और बहुत एहतियात बरतें।


हम लोगो को कहां और कैसे इन्फेक्शन लग गया, आज तक समझ नहीं आया। आफिस से ही कहीं कुछ हुआ होगा।


इति कोरोना कथा।


++

कोरोना विजेता के रूप में रश्मि प्रभा जी आज मिलवा रही हैं अमित कुमार श्रीवास्तव जी से. उन्होंने सपत्नीक कोरोना संक्रमण से स्वयं को विश्वास और वैक्सीन के द्वारा मुक्त किया. 

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