कोरोना विजेता के रूप में आज मिलिए गुजरात के अंशुमन दवे जी से और जानिये कैसे सभी आवश्यक कदम उठाते हुए उन्होंने कैसे कोरोना को पराजित किया.
++
मुझे गत वर्ष 2020 नवम्बर में कोरोना संक्रमण हुआ. यह एक तरह से Severe Covid कहा जायेगा, जिसमें पचास प्रतिशत से ज़्यादा फेफडों मे कोरोना वायरस फैल चुका था. पहले तो पता ही नहीं चला. बुखार की दवाएँ, पैरासीटामोल, क्रोसिन आदि लेकर निश्चिंत था. आराम समझ न आने पर जब टेस्ट करवाया तो पता चला कि कोरोना संक्रमण हुआ है. ये तो गनीमत कही जाएगी कि हॉस्पिटल सेक्टर में विगत बीस साल से कार्य करने के कारण काफी सारे उत्तम चिकित्सक मेरे मित्र हैं. मेरे जीजाजी डॉ. राजेंद्र अमीन साहब अहमदाबाद के सिविल हस्पताल में प्रोफ़ेसर हैं. जिनकी सलाह से मैंने अपने घर पर ही रहते हुए अपनी मेडिकल टीम से अपना इलाज कराया.
इस उपचार में 9
Remdesivir, 9 Steroids, 9 Clexen (anti coagulant) और 9 Pantodac Injection शामिल थे. इसके
अलावा Ziffy Antibiotic,
Vitamin C, Zincovit,
Eliquis (Blood Thinner)
तथा Aspirin भी मेरे उपचार में शामिल थे. ICMR की गाइडलाइन के चलते मैंने हिम्मत से सारे इंजेक्शन लिए. कई
बार महसूस हुआ कि अगर Happy Hypoxia हुआ और यूँ ही दम तोड़ दिया तो क्या होगा? इसलिये पल्स ऑक्सीमीटर से लगातार ऑक्सीजन लेवल की जाँच भी करता रहता. इन सब के
अलावा ECG, शुगर टेस्ट और Electrolytes टेस्ट भी करवाया.
उन दिनों रात
को बुरे-बुरे सपने आना, अत्यधिक
मात्रा मे पेशाब होना, ठीक
से नींद न आना एक आम बात हो गई थी. मैं आभारी हूँ मेरी पत्नी सुश्री कानन दवे का जो नियमित
रूप से पौष्टिक आहार मेरे लिए बनातीं और मेरे पास आइसोलेशन रूम
में भेजतीं.
कुल दस दिनों के बाद डॉक्टर्स की सलाह
से मैने फिर से D Dimer और CRP
टेस्ट करवाये जिनकी रिपोर्ट सामान्य आने के
पश्चात मेरे डॉक्टर पारस शाह जी ने मुझे आइसोलेशन से बाहर आने की सलाह दी. इसके बाद भी मैंने
RTPCR टेस्ट करवाया. उसके 10 दिन
बाद HRCT of Lungs करवाया. सारी
रिपोर्ट्स सामान्य आने के बाद ही मैं आइसोलेशन से बाहर आया.
कोरोना संक्रमण
से मुक्त होने के 5 महीने
बाद तक शारीरिक शक्ति वापिस नहीं आ सकी. ऐसी स्थिति में एक शोफर रखा और कार के द्वारा
अपनी हॉस्पिटल जॉब का फील्ड वर्क पूरा किया. धीरे-धीरे शारीरिक शक्ति
सामान्य होने लगी. फेफड़ों को मजबूत बनाने के लिए कसरतें, जैसे कि Spiro Meter, योग, अनुलोम-विलोम को नियमित रूप से करता रहा. इनके अलावा साइकिलिंग भी बराबर करता रहा.
इस दौरान मेरे
माता-पिता, सास-ससुर और
अन्य रिश्तेदार भी मेरी ऊर्जा का स्त्रोत बने. जीजाजी डॉ. राजेन्द्र अमीन साहब, डॉ. पारस शाह, डॉ.
पार्थव पटेल (मित्र), डॉ. श्वेता गार्गिय आदि के कारण आज मैं जीवित
हूँ.
आप सबसे मेरी विनती
है कि कोरोना के लक्षण दिखने पर RTPCR तुरंत करवा लें और अपने डॉक्टर साहब की सलाह का पालन करें. बिना डॉक्टर की
सलाह के खुद से ही इलाज शुरू न कर दें. सावधानी से किसी भी भयंकर रोग से मुक्ति
मिल सकती है, बस हौसला बनाये रखिये. धन्यवाद.
++
कोरोना विजेता के रूप में अंशुमन दवे जी अपनी जिजीविषा और धर्मपत्नी सहित परिजनों, मित्रों के सहयोग से कोरोना संक्रमण से मुक्त होकर अपने कार्यक्षेत्र में पुनः सक्रिय हुए हैं. चिकित्सकों की सलाह को उन्होंने वरीयता देते हुए सभी नियमों का पालन किया और आज हम सबके बीच कोरोना विजेता के रूप में उपस्थित हैं.
No comments:
Post a Comment