Monday, 24 May 2021

बी पॉजिटिव तो कोरोना नेगेटिव

साल का आखिरी दिन था, 31 दिसम्बर 2020। राहत महसूस कर रहा था कि बिना संक्रमित हुए ये साल बीत रहा है। बात राहत की ही थी कि मार्च से लेकर दिसम्बर तक हर उस इलाके में गया, जहाँ कोरोना के मरीज मिलते। कोरोना मरीज मिला और इलाका कंटेनमेंट जोन। सब दूर भागते उन इलाकों से पर उन्हीं इलाकों में जाना पड़ता, काम ही ऐसा है।


सबसे संक्रमित राज्य महाराष्ट्र के बार्डर पर बसे होने के कारण वहाँ भी कई-कई बार जाना हुआ। पैदल, ट्रकों में लदकर, ट्रेन की पटरियों के साथ-साथ चलते लोग... सबकी पीडा़ देखी, राहत पहुंचाने की कोशिश की। इस दौरान सुरक्षा के सारे उपाय किया, लगा इसलिए बचा रहा।


शाम होते-होते कमजोरी आने लगी। मुंह का स्वाद चला गया। कुछ खाने का मन नहीं होता। खाता तो उल्टी हो जाती। कंपकंपी। शरीर पूरी तरह गर्म लेकिन ठंड भरपूर। कमरे में हीटर चलाया, दो कंबल ओढे़ पर राहत ही नहीं।


नए साल के पहले दिन डाक्टर के पास गया। सबसे पहले आक्सीजन सेचुरेशन देखा, 98-99। कहा, कोविड तो नहीं है। मलेरिया और टाइफाइड का टेस्ट हुआ, इस बीच कुछ दवाएँ दीं। दवा से कुछ राहत मिलती लेकिन रात को फिर तकलीफ। दूसरे दिन रिपोर्ट आई। मलेरिया नेगेटिव। टाइफाइड नेगेटिव। फिर दूसरी दवाएँ दी गईं। तकलीफ कुछ कम होती, खत्म नहीं होती। हर बार आक्सीजन सेचुरेशन 98-99


आक्सीजन लेबल ने न डाक्टर के और न मेरे जेहन में बात लाई कि कोविड टेस्ट भी कराना चाहिए लेकिन सेहत में सुधार न होता देख डाक्टर ने सीआरपी (सी रिएक्टिव प्रोटीन) टेस्ट कराया। रिपोर्ट आई 56। सामान्यत: यह 8 होना चाहिए। इसे कम करने की दवा दी गई। तकलीफ ज्यों कि त्यों। दूसरे दिन फिर सीआरपी कराया, रिपोर्ट 120! अब डाक्टर ने हाथ खडे़ कर दिए। कहा, हायर सेंटर ले जाइए। एडमिट करना पडे़गा। वेंटिलेटर की भी जरुरत पड़ सकती है।


घर में पत्नी और बेटी बस। मुझे लगा, यदि मैं अस्पताल गया तो ये कैसे संभलेंगे? बस हिम्मत किया और पत्नी रुचि को कहा, मेरी रिपोर्ट लेकर डा प्रकाश खूंटे सर से मिलो।


खूंटे सर इस समय इस क्षेत्र में कोविड और नान-कोविड मरीजों के इलाज के मामले में ईश्वर तुल्य हैं। रिपोर्ट देखते ही उन्होंने दवाएं बदलीं और सिटी-स्कैन के लिए कहा। ये टेस्ट कराया। स्कोर आया 13। इस सब के बीच 7 जनवरी हो गई। अब उन्होंने कोविड टेस्ट के लिए कहा।


दूसरे दिन 8 जनवरी को स्वास्थ्य विभाग की टीम घर आई। एंटीजन टेस्ट हुआ, तुरंत रिपोर्ट मिल गई नेगेटिव। आरटी-पीसीआर का सैंपल लिया गया, दूसरे दिन रिपोर्ट आई नेगेटिव। सीआरपी फिर से कराया, रिपोर्ट 112। यानि कुछ कम हुआ। एक बार फिर आरटी-पीसीआर कराया, इसकी भी रिपोर्ट नेगेटिव।


अब खूंटे सर ने कहा, आपको कोविड हुआ है, इसी का प्रोटोकाल फालो करना होगा। अस्पताल जाएंगे? हिम्मत रख मैंने कहा- मुझे कुछ नहीं होगा, घर में ही रहूंगा, आप दवाएँ दीजिए। 7 दिन उनकी दवाएँ लीं। सारे प्रोटोकाल फालो किया। भाप। काढा़। हल्दी दूध। सेंधा नमक के साथ नींबू पानी। गर्म पानी। फिर सीआरपी कराया, रिपोर्ट 13, यानि सामान्य के करीब। कमजोरी बनी हुई थी। फिर अगले 7 दिन और कोविड की दवाएँ लीं।


13 जनवरी। मेरा जन्मदिन। पहली बार यह दिन बिस्तर पर बीता। पर मन में विश्वास था कि 13 जनवरी 2022 को पार्टी कर लेंगे, अभी आराम जरुरी है। भरोसे की जीत हुई और 22-23 जनवरी को सब सामान्य हो गया।


हमने एक संस्था बनाई है P-4। यानी चार P। पहला P पब्लिक, दूसरा P प्रशासन, तीसरा P पोलिस और चौथा P प्रेस। इन चारों वर्ग के बीच आपसी समन्वय के लिए इस संस्था के बैनर तले हर साल सद्भावना क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन करते हैं। सांसद, विधायक, कलेक्टर, एसपी सब इस P-4 का हिस्सा हैं। इस साल 26 जनवरी से टूर्नामेंट होना तय था। भरोसा था कि ठीक होकर मैदान में जरुर पहुंचूंगा। एक दिन पहले मैदान में पहुंचा। अपनी टीम (प्रेस) की ओर से तो नहीं खेला लेकिन तीन दिन बाद हुए कोरोना वारियर्स के बीच प्रदर्शन मैच में डाक्टरों के साथ मैच खेला। पसीना बहाया।


सब ठीक हुआ। यह हौसले की जीत थी।


2020 के मार्च से लेकर 2021 के इस जारी मई तक मैंने देखा, समझा है कि कोरोना हार सकता है बशर्ते हम अपनी इच्छाशक्ति मजबूत रखें। कोरोना से बचने के लिए मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग जरुरी है। नहीं हुआ तब तक कोरोना से डरना जरुरी है लेकिन यदि यह हो गया तो फिर डरने की जरुरत नहीं, इससे लड़ने की जरूरत है, इस जज्बे के साथ कि मेरी जीत होगी, कोरोना हारेगा। तय मानिए, आपने तय कर लिया तो कोरोना हारेगा ही।


अभी 10 मई को कोविशिल्ड वैक्सीन की पहली डोज ली है। इंजेक्ट वाली जगह में हल्का दर्द हुआ बस।


कोरोना से बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क, सेनिटाइजर का प्रयोग जरुरी है और अब इसे हराने के लिए वैक्सीन ही सबसे कारगर है।


वैक्सीन जरुर लगाएँ और दूसरों को भी प्रेरित करें।


हाँ, यदि अपना कोई पाजिटिव हो गया हो तो उसे नकारात्मक विचारों से दूर रखें, पाजिटिविटी का माहौल दें। यदि अस्पताल में भर्ती हैं और मोबाइल देना जरुरी है तो स्मार्टफोन बिल्कुल न दें। सामान्य फोन दें। सोशल मीडिया से दूर रखें।


कोरोना जैसी नकारात्मक बीमारी को सकारात्मकता से ही पराजित किया जा सकता है।


बी पाजिटिव तो कोरोना नेगेटिव


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कोरोना विजेता के रूप में अतुल श्रीवास्तव जी की कहानी रश्मि प्रभा जी की वाल से साभार. मन में विश्वास हो, हौसला हो तो कोई भी जंग आसानी से जीती जा सकती है.

अतुल श्रीवास्तव से मिलने के लिए यहाँ क्लिक करें. 

रश्मि प्रभा जी का परिचय यहाँ से प्राप्त करें.

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